- पांच अंगो ( दो हाथ, दो पैर, मुख ) को अच्छी तरह से धो कर ही भोजन करे !
- गीले पैरों खाने से आयु में वृद्धि होती है !
- प्रातः और सायं ही भोजन का विधान है ! क्योंकि पाचन क्रिया की जठराग्नि सूर्योदय से 2 घंटे बाद तक एवं सूर्यास्त से 2:30 घंटे पहले तक प्रबल रहती है|
- पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ही खाना चाहिए !
- दक्षिण दिशा की ओर किया हुआ भोजन प्रेत को प्राप्त होता है !
- पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन खाने से रोग की वृद्धि होती है !
- शैय्या पर , हाथ पर रख कर , टूटे फूटे बर्तनो में भोजन नहीं करना चाहिए !
- मल मूत्र का वेग होने पर, कलह के माहौल में, अधिक शोर में, पीपल, वट वृक्ष के नीचे,भोजन नहीं करना चाहिए !
- परोसे हुए भोजन की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए !
- खाने से पूर्व अन्न देवता , अन्नपूर्णा माता की स्तुति कर के , उनका धन्यवाद देते हुए , तथा सभी भूखो को भोजन प्राप्त हो ईश्वर से ऐसी प्राथना करके भोजन करना चाहिए !
- भोजन बनने वाला स्नान करके ही शुद्ध मन से, मंत्र जप करते हुए ही रसोई में भोजन बनाये और सबसे पहले ३ रोटिया अलग निकाल कर ( गाय , कुत्ता , और कौवे हेतु ) फिर अग्नि देव का भोग लगा कर ही घर वालो को खिलाये !
- इर्षा , भय , क्रोध, लोभ,रोग , दीन भाव,द्वेष भाव,के साथ किया हुआ भोजन कभी पचता नहीं है !
- आधा खाया हुआ फल ,मिठाईया आदि पुनः नहीं खानी चाहिए !
- खाना छोड़ कर उठ जाने पर दुबारा भोजन नहीं करनाचाहिए !
- भोजन के समय मौन रहे !
- भोजन को बहुत चबा चबा कर खाए !
- रात्री में भरपेट न खाए !
- गृहस्थ को ३२ ग्रास सेज्यादा न खाना चाहिए !
- सबसे पहले मीठा , फिर नमकीन , अंत में कडुवा खाना चाहिए !
- सबसे पहले रस दार , बीचमें गरिस्थ , अंत में द्राव्य पदार्थ ग्रहण करे!
- थोडा खाने वाले को --आरोग्य , आयु , बल , सुख, सुन्दर संतान ,और सौंदर्य प्राप्त होता है !
- जिसने ढिढोरा पीट कर खिलाया हो वहा कभी न खाए !
- कुत्ते का छुवा , रजस्वला स्त्री का परोसा, श्राद्ध का निकाला , बासी , मुंह से फूक मरकर ठंडा किया , बाल गिरा हुवा भोजन , अनादर युक्त , अवहेलना पूर्ण परोसा गया भोजन कभी न करे !
- कंजूस का, राजा का,वेश्या के हाथ का,शराब बेचने वाले का दिया भोजन कभी नहीं करना चाहिए|
यह नियम आप जरुर अपनाये और फर्क देखें ||
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