"देवो दुर्बल: घातक:||" अर्थात् "देवता भी कमजोर को ही मारते है|"
यह आज सिद्ध हो गया है कि भारतीय पुलिस की स्थापना "गोरे अंग्रेजो" ने जिस काम के लिये की थी, उस काम का निर्वाह वो "काले अंग्रेजो" के लिये बखुबी कर रही है|
दोस्तो पुलिस की स्थापना की गयी थी भारतीयो के दमन के लिये, और यह पुनीत कार्य किया था गोरे अंग्रेजो ने सन् 1860-61 में|
पुलिस को उस समय एक विशेष अधिकार दिया गया था "Right to Offense" मतलब पुलिस जब चाहे जिसे चाहे मार सकती है, लाठी से, जूतो से, थप्पड से, और किसी भी हथियार से और वो भी बिना कारण, जबकि भारत के नागरिको को नहीं दिया गया "Right to Defense" मतलब कि अगर आपको कोई पुलिस वाला बिना किसी जायज वजह के मार रहा है तो आप अपना बचाव करने के लिये कुछ नहीं कर सकते, आपको मार खानी पडेगी|
और अगर यदि आपने गलती से भी किसी पुलिस वाले का हाथ पकड लिया या उसे पलट के मारा या अपने बचाव के लिये कुछ किया तो आप पर court case चलेगा कि आपने एक पुलिस वाले को उसका काम (duty) करने से रोका तथा आपको इसके लिये सजा भी मिलेगी|
आजादी के बाद इस देश के नेताओं (काले अंग्रेजो) ने पुलिस के लिये ये प्रचारित करवा दिया कि पुलिस तो आम जनता की सुरक्षा और सेवा के लिये है जो सरासर झूठ है| आज भी पुलिस वही काम कर रही है जो वो अंग्रेजो के लिये करती थी तथा आज भी उसके पास Right to offense है जबकि हमारे पास Right to defense नही है|
कल और आज शान्तिपूर्वक आंदोलन कर रहे छात्रो- छात्राओ, और नागरिको पर पुलिस ने वेवजह लाठियां चलाई, भरी सर्दी में पानी की बौछारे करी, आंसू गैस के गोले छोडे, और ऊपर से जुमला यह कि हमें शान्तिपूर्वक आंदोलन से कोई दिक्कत नहीं है, आप लोग हिंसा ना करें| ये तो वही बात हो गयी कि "उल्टा चोर कोतवाल को डांटे" बस फर्क सिर्फ इतना है कि यहां चोर खुद पुलिस है|
दिल्ली में छात्राओ और औरतो पर "लाठी चलाओ" कार्यवाही में एक भी महिला पुलिस नही, पुरुष पुलिस ही महिलाओ को मार रही है| अरे भाई ये तो कानून के खिलाफ है | महिलाओ पर सिर्फ महिला पुलिस ही कार्यवाही कर सकती है|
और अभी-अभी प्राप्त खबर के अनुसार दिल्ली सरकार ने गृह मंत्रालय को चिठ्ठी लिखकर कहा है कि पुलिस की कार्यवाही के बारे में उन्हे कोई जानकारी नहीं है|
हा.. हा.. हा..
कितना बडा मजाक है? पुलिस की इतनी हिम्मत कि अपने आका के हुक्म के बगैर कोई कार्यवाही करे|
सुषमा स्वराज जी ने tweet किया कि
"Please do not resort to violence. That is not the solution. It is our country. This is our problem. We will definitely find a solution. "
अरे मेडम जी यह तो बताओ कि आप किसकी तरफ हो??
मार पुलिस रही है दो दिनो से और अगर गुस्से में एक- आध लोगो ने अगर पत्थर फेक भी दिये पुलिस पर तो आप tweet करने आ गयी| कल कहां थी आप जब पुलिस ने दिनभर में 7 बार लाठियां चलाई|
और अभी तक एक भी केन्द्रीय स्तर का नेता क्यों नही आया आंदोलनकारियों से बात करने|क्यों नहीं अभी तक पुलिस को आदेश दिये गये कि आंदोलनकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं करें|
"ये public है सब जानती है . .. " कि सब मिले हुए है, एक ही थैली के चट्टे-बट्टे है सब|
_____________ "एक भारतीय"