आज भारत के इतिहास में एक और पन्ना जुड गया है कि जिन ... को हम अपना प्रतिनिधी चुनकर अपने देश की बागडोर सोंपते है, वो जरूरत पडने पर हमारी ही बात नहीं सुनते है|
इस देश में जब भी कोई आंदोलन होता है, तो वो अहिंसापूर्वक ही शुरु होता है, लेकिन हमारे देश के महान ( कमीने ) जनप्रतिनिधी उसे एक हिंसापूर्ण आंदोलन में बदल देते है, अपनी इन ओछी हरकतो से |
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और फिर मीडिया के सामने आ जाते है भौंकने के लिये कि हमारी प्रदर्शनकारियो से अपील है कि शंतिपूर्वक आंदोलन करें|
और कभी-कभी तो हद ही कर देते है यह कहकर कि हिंसा से कुछ प्राप्त नहीं होता, यह देश और हम गांधी जी के सिद्धांतो को मानने वाले है और हमें उनका अनुसरण करना चाहिए|
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लेकिन आज जो कुछ भी हो रहा है, दिल्ली में उसने यह साबित कर दिया है कि लातो के भूत कभी बातो से नहीं मानते| जो उस देश की बेटी के साथ हुआ, अगर वो इन कमीनो की लडकी के साथ हौ जाता तो तुरंत कठोर कानून पारित करवा लेते, अध्यादेश जारी करके|
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FDI पर अध्यादेश जारी करके bill पास करवा सकते है तो लज्जाभंग के लिये कानून पारित करने के लिये अगले सत्र का इंतजार क्यों??????
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आज दिल्ली में एकत्र हुए लोग जिनमें ज्यादातर विद्यार्थी है, किसी राजनैतिक पार्टी से नहीं है, उन सभी को पैसा देकर या किसी व्यक्ति ने आव्हान कर नहीं बुलाया है, बल्कि वो सभी एकत्र हुए है, SMS, PHONE, और social networking के जरिए||
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और यही है भारत की वो असली जनता जिसे ये सफेद खादी धारण करने वाले और काले मन (दिल, दिमाग) वाले नेता भारत का भविष्य कहते है, और आज जब ये भविष्य अपने खुद के भविष्य के लिये उनसे जबाब मांगने और कठोर कानून की बात करने दिल्ली पहुंचा तो हवा टाइट हो गयी सभी. . . की||
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एक भी नेता नजर नही आया, कि चलो बात तो सुन ले कि क्या कहना चाहता है इस "भारत" का भविष्य?? आता भी कैसे, एक भी राजनैतिक दल ऐसा नहीं है जिसमें अपराधी ना हो, अपराध भी कैसे-कैसे (लज्जाभंग, कत्ल, गबन, घोटाला, बलपूर्वक दूसरों के जमीन-धन पर कब्जा)|
अब जब खुद की पार्टी में ही कालिख पुते लोग है तो जनता के सामने किस मुंह से आये??
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अब इस देश को जरूरत है, एक आमूलचूल परिवर्तन की| एक नये संविधान की, एक नये नायक की, एक नयी क्रान्ति की ||||
इतिहास गवाह है कि जब-जब भी किसी देश में एक बडा परिवर्तन आया है, उसके पीछे युवाओं का ही बडा योगदान रहा है|
बस अब और ज्यादा नहीं लिखुंगा, आज के लिये इतना ही ||
___________ "एक भारतीय"
इस देश में जब भी कोई आंदोलन होता है, तो वो अहिंसापूर्वक ही शुरु होता है, लेकिन हमारे देश के महान ( कमीने ) जनप्रतिनिधी उसे एक हिंसापूर्ण आंदोलन में बदल देते है, अपनी इन ओछी हरकतो से |
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और फिर मीडिया के सामने आ जाते है भौंकने के लिये कि हमारी प्रदर्शनकारियो से अपील है कि शंतिपूर्वक आंदोलन करें|
और कभी-कभी तो हद ही कर देते है यह कहकर कि हिंसा से कुछ प्राप्त नहीं होता, यह देश और हम गांधी जी के सिद्धांतो को मानने वाले है और हमें उनका अनुसरण करना चाहिए|
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लेकिन आज जो कुछ भी हो रहा है, दिल्ली में उसने यह साबित कर दिया है कि लातो के भूत कभी बातो से नहीं मानते| जो उस देश की बेटी के साथ हुआ, अगर वो इन कमीनो की लडकी के साथ हौ जाता तो तुरंत कठोर कानून पारित करवा लेते, अध्यादेश जारी करके|
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FDI पर अध्यादेश जारी करके bill पास करवा सकते है तो लज्जाभंग के लिये कानून पारित करने के लिये अगले सत्र का इंतजार क्यों??????
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आज दिल्ली में एकत्र हुए लोग जिनमें ज्यादातर विद्यार्थी है, किसी राजनैतिक पार्टी से नहीं है, उन सभी को पैसा देकर या किसी व्यक्ति ने आव्हान कर नहीं बुलाया है, बल्कि वो सभी एकत्र हुए है, SMS, PHONE, और social networking के जरिए||
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और यही है भारत की वो असली जनता जिसे ये सफेद खादी धारण करने वाले और काले मन (दिल, दिमाग) वाले नेता भारत का भविष्य कहते है, और आज जब ये भविष्य अपने खुद के भविष्य के लिये उनसे जबाब मांगने और कठोर कानून की बात करने दिल्ली पहुंचा तो हवा टाइट हो गयी सभी. . . की||
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एक भी नेता नजर नही आया, कि चलो बात तो सुन ले कि क्या कहना चाहता है इस "भारत" का भविष्य?? आता भी कैसे, एक भी राजनैतिक दल ऐसा नहीं है जिसमें अपराधी ना हो, अपराध भी कैसे-कैसे (लज्जाभंग, कत्ल, गबन, घोटाला, बलपूर्वक दूसरों के जमीन-धन पर कब्जा)|
अब जब खुद की पार्टी में ही कालिख पुते लोग है तो जनता के सामने किस मुंह से आये??
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अब इस देश को जरूरत है, एक आमूलचूल परिवर्तन की| एक नये संविधान की, एक नये नायक की, एक नयी क्रान्ति की ||||
इतिहास गवाह है कि जब-जब भी किसी देश में एक बडा परिवर्तन आया है, उसके पीछे युवाओं का ही बडा योगदान रहा है|
बस अब और ज्यादा नहीं लिखुंगा, आज के लिये इतना ही ||
___________ "एक भारतीय"
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